संक्रमण से 5 साल तक कम हाे सकती है मस्तिष्क की उम्र; इससे अल्जाइमर, पार्किंसन व डिमेंशिया का खतरा
कोरोना के नए मरीज मिलने का सिलसिला अभी भी बरकरार है। शहर व आसपास के क्षेत्रों से रोजाना नए मरीज मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में पहुंच रहे हैं। रविवार को कोरोना के 211 नए मरीज मिले हैं। दो महिलाओं सहित 3 मरीजों की मौत हो गई।
इनमें दो विज्ञान नगर कि व्यक्ति शामिल हैं। हालांकि सरकारी रिपोर्ट में एक ही मौत दर्शाई गई है। नवंबर में अब तक 10 दिन 200 से ज्यादा राेगी मिल चुके हैं। वहीं अब एक ही परिवार के कई सदस्य कोरोना पॉजिटिव आ रहे हैं।
मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में रविवार काे विज्ञान नगर के 64 वर्षीय पुरुष व 55 वर्षीय महिला की मौत हुई है। टिपटा क्षेत्र की एक 76 वर्षीय महिला ने दम तोड़ा है। नए अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर चंद्रशेखर सुशील ने बताया कि रविवार को अस्पताल में 245 मरीज भर्ती रहे। इनमें से 162 ऑक्सीजन पर थे। अस्पताल में भर्ती पॉजिटिव मरीज की संख्या 158 है। वहीं 87 मरीज निगेटिव व संदिग्ध हैं।
कोरोना वायरस का असर मस्तिष्क पर भी देखने को मिल रहा है। डॉक्टरों के अनुसार आने वाले समय में मस्तिष्क पर इसका व्यापक असर देखने को मिल सकता है। विशेषज्ञों का तो यहां तक मानना है कि संक्रमण के कारण मस्तिष्क की उम्र 5 साल तक कम हो सकती है, जिस कारण कई तरह की तकलीफें भी देखने को मिल सकती हैं।
काेराेना पर रिसर्च से जुड़े एक्सपर्ट बताते हैं कि मस्तिष्क की उम्र घटने के बाद भी संभव है कि आने वाले समय में संक्रमित रोगियों में अल्जाइमर, पार्किंसन और डिमेंशिया जैसी तकलीफें देखने को मिले। कई संक्रमितों में स्ट्रोक के मामले सामने आए हैं।
कुछ मरीज तो स्ट्रोक के साथ अस्पताल पहुंचे और जांच में संक्रमण की पुष्टि हुई। यह स्ट्रोक संक्रमण की वजह से मस्तिष्क को हुए नुकसान से आए। मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं की इंडोलिथियम को वायरस नुकसान पहुंचाता है। इंडोलीथियम नसों में रक्त को जमने नहीं देती है। जब इसे नुकसान होता है तब नसों में खून के थक्के बन जाते हैं जिससे स्ट्रोक होता है। चार घंटे के भीतर एक जरूरी इंजेक्शन न लगे तो मरीज के हित में कुछ भी कहना ठीक नहीं होता है।
30% मरीजों में न्यूरो संबंधी दिक्कत, 1 रोगी की एनसिफेलाइटिस से मौत भी हो चुकी
मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. विजय सरदाना ने बताया कि कोविड के सबसे पहले लक्षण स्वाद और गंध खत्म होना ही न्यूरोलॉजिकल काॅम्पलिकेशन है। कुछ मरीज सिर दर्द की शिकायत करते हैं, कुछ पेशेंट्स में स्ट्रोक भी हुआ है। माइग्रेन वाले मरीजों में यदि कोविड हो जाए इसकी फ्रिक्वेंसी बढ़ सकती है।
कुछ मरीजों ने याददाश्त कम होने की भी शिकायतें की हैं। कोटा में एक केस एनसिफेलाइटिस का भी आया था, जिससे रोगी के ब्रेन में सूजन आ गई थी और उसकी मौत भी हो गई थी। रिसर्च के अनुसार, 5 से 30 प्रतिशत कोविड मरीजों में न्यूरोलॉजिकल कॉम्पलिकेशन पाए जा रहे हैं।
कई मरीजों के व्यवहार में बदलाव व जीबी सिंड्रोम के केस भी रिपोर्ट हुए हैं। कोटा मेडिकल कॉलेज में हुई रिसर्च के मुताबिक 30 प्रतिशत कोविड मरीजों में न्यूरोलॉजिकल कॉम्पलिकेशन पाए जा रहे हैं। डॉ. सरदाना की अगुवाई में हुई इस रिसर्च में डॉ. भारत भूषण, डॉ. दिलीप माहेश्वरी व डॉ. पंकज का भी योगदान रहा।
जांच में लापरवाही घातक
डॉक्टर बताते हैं कि कोरोना वायरस का कोई भी लक्षण है तो जांच और इलाज में कोई लापरवाही न करें। अस्पताल में स्ट्रोक संबंधी मामलों को बढ़ता देख मरीजों को रक्त पतला करने वाली दवाएं डॉक्टर स्थिति के अनुसार दे रहे हैं। इसका मकसद मरीजों के मस्तिष्क में वायरस से होने वाले नुकसान को रोकना है। संक्रमण के बाद जांच और इलाज में देरी भारी पड़ सकती है।
हाई बीपी व शुगर रोगियों को खतरा अधिक
यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के स्ट्रोक रिसर्च समूह के अध्ययन के अनुसार, जिन कोरोना मरीजों को उच्च रक्तचाप और मधुमेह की तकलीफ है उनमें कोरोना से स्ट्रोक का खतरा अधिक है। हाई ब्लड प्रेशर और मधुमेह रोगियों की इम्युनिटी कमजोर होती है।
बच्चे से लेकर बुजुर्गों तक में तकलीफ
विशेषज्ञों का कहना है कि जिन मरीजों में संक्रमण का स्तर गंभीर होता है उनमें स्ट्रोक की गुंजाइश अधिक होती है। चिंताजनक बात यह है कि कोरोना से स्ट्रोक की तकलीफ पांच साल के बच्चे से लेकर बुजुर्गों तक में हो सकती है और ऐसे मामले सामने आए हैं। स्ट्रोक से मौतों की दर भी बढ़ सकती है।
3 केस से समझें ब्रेन पर कैसे असर डाल रहा है काेराेना
बारां के युवक को कोटा के तलवंडी स्थित निजी हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। न्यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टराें ने जांचों के बाद उसे एनसिफेलाइटिस पाया और उसका उसी हिसाब से इलाज शुरू कर दिया। इसी बीच चेस्ट में हल्की दिक्कत लगी तो कोविड टेस्ट कराया, जिसमें वह पॉजिटिव पाया गया। हालांकि इसी बीच इस युवक की मौत हो गई।
नए अस्पताल के कोविड वार्ड में एडमिट हुए एक बुजुर्ग को हाथ-पैरों में कमजोरी महसूस हुई। डॉक्टर तत्काल भांप गए और जांचें कराई तो पता चला कि उन्हें स्ट्रोक हो गया है। इसके बाद न्यूरो के डॉक्टरों की सलाह पर कोविड के साथ-साथ उनका भी ट्रीटमेंट दिया गया। मरीज रिकवर तो कर गया, लेकिन अभी तक स्ट्रोक से जुड़ा इलाज चल रहा है।
शहर के एक न्यूरो फिजिशियन के पास एक 50 वर्षीय व्यापारी इन दिनों पोस्ट कोविड फॉलोअप के तौर पर दिखाने आ रहे हैं। उन्हें कोविड हुआ, उसके बाद से अपने व्यापार के सिलसिले में जोड़-बाकी करने में दिक्कत आती है। मरीज का कहना है कि पहले लाखों का हिसाब चुटकियों में कर लेता था, लेकिन बार-बार भूलने लगता हूं।
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source https://www.bhaskar.com/local/rajasthan/kota/news/infection-may-reduce-brain-age-by-up-to-5-years-this-causes-alzheimers-parkinsons-and-dementia-risk-127963073.html
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