बेसहारा महिलाएं भूखी नहीं रह जाएं इसलिए अपनाघर में मिला आसरा
यहां वैशाली नगर विस्तार याेजना स्थित अपनाघर महिला आश्रम में 34 निराश्रित विमंदित महिलाएं रह रही हैं। 23 फरवरी 2020 काे इसका उद्धाटन हुआ था। यह जिले का एकमात्र महिला आश्रम है। आश्रम के उपाध्यक्ष जीआर गाेयल ने बताया कि करीब डेढ़ कराेड़ रुपए की लागत से बने दाे मंजिला अपनाघर महिला आश्रम में 128 महिलाओं के रहने की व्यवस्था है।
भूतल पर 48 और प्रथम तल पर 80 महिलाओं के रहने की व्यवस्था है। इस आश्रम में केवल निराश्रित विमंदित महिलाओं के ही रहने की व्यवस्था है। इन महिलाओं के लिए निशुल्क नाश्ता, खाना व मेडिकल जांच व्यवस्था है। एक महीने में एक बार महिलाओं की स्वास्थ्य जांच कराई जाती है।
गाेयल ने बताया कि अभी भूतल पर महिलाओं की रहने की व्यवस्था है। काेराेना महामारी का असर खत्म हाेने के बाद प्रथम तल पर भी महिलाओं काे रखा जाएगा। भूतल से प्रथम तल पर महिलाओं के आने-जाने के लिए लिफ्ट लगाने का भी प्रस्ताव है। महिलाओं की देखभाल के लिए 6 लाेगाें का स्टाफ है। इनमें 24 घंटे 4 लाेगाें का स्टाफ वहीं रहता है। महिलाओं की देखभाल करने वाले स्टाफ काे मानदेय दिया जाता है।
आश्रम का संचालन जन सहयाेग से हाेता है। इस आश्रम के उद्याेगपति विजय डाटा और समाजसेवी खिल्लीमल जैन संरक्षक, गायत्री डाटा अध्यक्ष, सतीश दीवान जैन सचिव, हरीश कालरा, जीआर गाेयल, अशाेक मेठी उपाध्यक्ष व सतीश सारस्वत वित्त सचिव हैं। आश्रम का मुख्यालय बझेरा भरतपुर है। डाॅ. बीएम भारद्वाज और माधुरी भारद्वाज अपनाघर आश्रम के संस्थापक हैं।
देश में 34 अपनाघर आश्रम संचालित हाे रहे हैं। डाॅ. बीएम भारद्वाज का कहना है कि सड़क पर काेई भी ऐसा व्यक्ति नहीं रहे, जिसका घर नहीं हाे, हरेक इंसान का अपना घर हाे, इस उद्देश्य से अपनाघर आश्रम की शुरूआत हुई।
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source https://www.bhaskar.com/local/rajasthan/alwar/news/destitute-women-do-not-stay-hungry-so-found-shelter-in-their-home-128070479.html
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