7 साल की मेहनत सेे धोरों में उगाए किन्नू, सालाना 6 हजार क्विंटल पैदावार

भारत-पाक बॉर्डर पर सात साल की मेहनत से किसान ने किन्नू उगाकर मिसाल कायम की है। रेतीले धोरों के बीच बागवानी का सपना साकार कर बद्रीप्रसाद किसानों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गए। अब तक नहरी क्षेत्र के किसान चना, सरसों, गेहूं की खेती करते हैं।

पहली बार उन्नत खेती को लेकर बद्रीप्रसाद ने नवाचार किया। मेहनत के बूते खेतों में किन्नू के पौधे लहलहा रहे हैं। नाचना के नहरी क्षेत्र में बॉर्डर की तारबंदी से दो किमी अंदर की ओर बद्रीप्रसाद गोदारा ने वर्ष 2013 में किन्नू के पौधे लगाए। तीन साल में कुछ उम्मीद दिखी तो गाेदारा इस फसल को लेकर गंभीर हो गए। अपने खेत में 4 बीघा में 300 पौधे लगा दिए। वर्तमान में सभी पौधे फल दे रहे हैं।

गोदारा ने बताया कि उन्होंने 300 पौधे लगाए थे। चार साल से अधिक समय हो चुका है और अब सभी में फ्रूटिंग हो रही है। सालाना करीब 600 क्विंटल की पैदावार की जा रही है। शुरूआत में मार्केटिंग की दिक्कत थी लेकिन अब इतनी खपत जिले भर में हो रही है। जानकारी के अनुसार बागवानी खेती में सरकार की तरफ से सब्सिडी भी मिलती है। एक हेक्टेयर में 300 पौधे लगाए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि जैसलमेर के किसान यदि किन्नू लगाना चाहे तो एक हेक्टेयर से इसकी शुरूआत कर सकते हैं।

गंगानगर में 7 रुपए तो नाचना में 15 रुपए किलो भाव से बिक रहे
गाेदारा ने बताया कि वे गंगानगर से किन्नू के पौधे लाए थे। बताया जाता है कि गंगानगर में सर्वाधिक किन्नू की पैदावार होती है। जब जैसलमेर जिले के नाचना में हमने ये पौधे लगाए तो उम्मीद नहीं थी कि गंगानगर के किन्नू के समान किन्नू की पैदावार होगी। लेकिन जब फ्रूटिंग हुई तो यहां के किन्नू गंगानगर के किन्नू से भी मीठे निकले। दंतोर मंडी में गंगानगर के किन्नू 7 रुपए किलो तो नाचना के किन्नू 15 रुपए किलो बिक रहे हैं।

एक हेक्टेयर से 10 से 12 लाख की सालाना कमाई
आम तौर पर जैसलमेर में उगने वाली फसलों में ज्यादा कमाई नहीं होती है और नुकसान की आशंका ज्यादा रहती है। हालांकि नुकसान इसमें भी हो सकता है लेकिन एक बार फ्रूटिंग शुरू होने के बाद नुकसान की संभावना बिल्कुल नहीं रहती और एक हेक्टेयर से 10 से 12 लाख की कमाई की जा सकती है।

बद्रीप्रसाद गोदारा, किसान

मैंने शौक रूपी किन्नू के पौधे लगाए थे लेकिन उन्हें पनपता देखा तो उत्सुकता बढ़ गई और अब 600 क्विंटल सालाना पैदावार हो रही है। किसानों से यही अपील है कि बागवानी खेती की तरफ रुझान करने से उन्हें मुनाफा हो सकता है। मैं इस साल पपीते की खेती भी कर रहा हूं।-बद्रीप्रसाद गोदारा, किसान



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जैसलमेर. बॉर्डर पर किसान की मेहनत से लहलहा रहे किन्नू।


source https://www.bhaskar.com/local/rajasthan/barmer/jaisalmer/news/kinnu-grown-in-the-cows-through-7-years-of-hard-work-yields-6-thousand-quintals-annually-128111681.html

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